भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (भारत सरकार का उपक्रम)जी.टी. रोड, कानपुर– 208016 (उ. प्र.) भारत चिकित्सा उपस्थिति और उपचार नियम
1.(क) इन नियमों के भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम– चिकित्सा उपस्थिति एवं उपचार नियम कह सकते हैं,
ख) ये नियम " अनियमित कर्मचारी " को छोड़कर निगम के सभी कर्मचारियों और ईएसआई योजना के तहत आने वाले कर्मचारियों पर लागू होंगें। हालांकि, अनियमित कर्मचारी (उनके परिवार का सदस्य नहीं) अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक की अनुमति द्वारा आपातकालीन चिकित्सा के हकदार होंगे।
2. परिभाषाएं:
क) "अधिकृत चिकित्सा परिचर" अर्थात निगम का चिकित्सा अधिकारी या कोई भी पंजीकृत चिकित्सक जो कि –
i) चिकित्सा के एलोपैथिक प्रणाली,
ii) चिकित्सा के होमियोपैथिक प्रणाली
iii) चिकित्सा के यूनानी/ आयुर्वेदिक प्रणाली
का अभ्यास कर रहा हो।
ख) "कर्मचारी" का अर्थ है निगम के अनियमित श्रमिकों, प्रशिक्षु अधिनियम के अनुसार प्रशिक्षुओं के अलावा निगम के स्थायी कर्मचारी।
ग) "परिवार" का अर्थ है पत्नी/ पति और बच्चे (सौतेल एवं कानूनी रूप से गोद लिए बच्चों समेत) और उस कर्मचारी के माता– पिता जो उनके साथ रहते हों और पूरी तरह से उन पर निर्भर (सरकारी नियमों अर्थात एफआर/ एसआर के अनुसार) हों।
घ) "चिकित्सा उपस्थिति" का अर्थ है अधिकृत चिकित्सा परिचर द्वारा उपस्थिति । इसमें निदान एवं उपचार के प्रयोजन के लिए कुछ परीक्षणों एवं अधिकृत चिकित्सा परिचर की समझ से किसी विशेषज्ञ से परामर्श की जरूरत शामिल है।
च) "अस्पताल" का अर्थ है नियुक्ति स्थल पर नगरपालिका की सीमा के भीतर का कोई भी अस्पताल। इसमें सैन्य अस्पताल, स्थायी प्राधिकारी का अस्पताल या सरकारी कर्मचारियों के लिए केंद्र/ राज्य सरकारों द्वारा चिकित्सा की व्यवस्था वाला कोई भी अन्य अस्पताल। इसमें निम्नलिखित भी शामिल हैं–
i) छावनी बोर्ड जनरल अस्पताल
ii) महानगरपालिका के सभी अस्पताल
iii) सेंट कैथरीन अस्पताल
iv) जे. एल. रोहतगी नेत्र अस्पताल
v) मरियमपुर अस्पताल
vi) इस पैरा के तहत उक्त अस्पताल द्वारा निर्दिष्ट कोई भी अन्य अस्पताल।
छ) "पे– भुगतान" इन नियमों के उद्देश्य के लिए भुगतान की राशि कर्मचारी के मासिक वेतन का मूल वेतन जो कि उसके पद के लिए स्वीकृत की गई है, होगी। इसमें विशेष वेतन और व्यक्तिगत भुगतान भी शामिल है।
ज) "स्पेश्यलिस्ट– विशेषज्ञ" का अर्थ है मेडिसीन की विशेष शाखा में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री वाला पंजीकृत चिकित्सक।
झ) "मरीज– पेशेंट" का अर्थ है एलिम्को कर्मचारी या उसके/की परिवार का सदस्य जिनपर ये नियम लागू होते हैं और ऐसी ही अन्य व्यक्ति जो इन नियमों के अधीन आते हैं और जिन्हें चिकित्सीय देखभाल की जरूरत है।
ट) "उपचार– ट्रीटमेंट" का अर्थ है एलोपैथिक, होमियोपैथिक और यूनानी/ आयुर्वेदिक इलाज और मरीज के ठीक होने या स्थिति में हो रही गिरावट को रोकने के लिए जरूरी सभी चिकित्सीय एवं शल्य चिकित्सा सुविधाओं का प्रयोग करना। इसमें शामिल है–
i) रोगविज्ञान, जीवाणु विज्ञान, रेडियोलॉजिकल एवं अन्य तरीकों का इस्तेमाल।
ii) दवाओं, टीकों, सेरा या अन्य चिकित्सीय पदार्थों की आपूर्ति।
iii) डेन्चर, क्राउन वर्क, ब्रिज वर्क, दंत संशोधन (ऑर्थोडॉन्टिक) काम और अन्य विशेषज्ञ दंत काम के बजाए सामान्य दंत चिकित्सा।
iv) दोषपूर्ण दृष्टि के लिए चश्मे की आपूर्ति को छोड़कर कर्मचारियों की आंखों का इलाज और दृष्टि परिक्षण तीन वर्षों में सिर्फ एक बार किया जाएगा या निगम के अस्पताल में सुविधा होने पर अक्सर किया जा सकेगा।
v) महिला रोगियों के मामले में समय– पूर्व और समय– के बाद प्रसव की सुविधा।
vi) मधुमेह के रोगियों को आरंभिक चरणों में या अस्पताल में भर्ती होने पर ही इंसुलिन उपचार दिया जाएगा।
vii) एंटी– रेबिक उपचार
viii) आमतौर पर अस्पताल द्वारा इस तरह की नर्सिंग प्रदान की जाती है।
ix) अगर अस्पताल के अधिकारियों द्वारा आवश्यक माना जाता है तो– ऐसे अस्पतालों में देय आहार शुल्क शामिल है, इस प्रकार के विशेष परामर्श पर विचार किया जाता है।
ठ) नर्सिंग होमः
नर्सिंग होम के पैरा 2 (ई) में परिभाषित अस्पताल के अलावा अन्य कोई भी अस्पताल (जिसमें पचास से कम बिस्तर न हों और वह एमबीबीएस डिग्री धारी डॉक्टर ही संचालित करता हो) का निर्धारण, समय– समय पर अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अलग कार्यालय आदेश/ अधिसूचना के माध्यम से करते हैं। वर्तमान में ये निम्न के अधीन है–
एलिम्को (मुख्यालय), कानपुर
i. लक्ष्मी देवी कृष्ण चंद मेमोरियल होम
ii. रतन कैंसर अस्पताल
iii. मधुलोक अस्पताल
iv. ब्रिड मेडिकल सेंटर (पी) लिमिटेड
v. चंद्राभाई नर्सिंग होम (पी) लिमिटेड
vi. कानपुर ट्रॉमा एंड ऑर्थो सेंटर
vii. खैराबाद आंख अस्पताल
viii. कानपुर मेडिकल सेंटर (पी) लिमिटेड
ix. मोहम्मदिया अस्पताल
x. लीला मणि मेमोरियल अस्पताल (पी) लिमिटेड
xi. भार्गव अस्पताल
xii. आभा नर्सिंग होम (पी) लिमिटेड
xiii. मधुराज नर्सिंग होम (पी) लिमिटेड
xiv. सुलक्ष्मी अस्पताल
xv. सरल नर्सिंग होम
xvi. एक्सेल अस्पताल (पी) लिमिटेड
xvii. चांदनी अस्पताल
xviii. सीजीएचएस की सूची वाले अस्पताल/ नर्सिंग होम
xix. उपरोक्त अस्पताल/ नर्सिंग होम द्वारा निर्दिष्ट कोई दूसरा अस्पताल/ नर्सिंग होम।
क्षेत्रीय विपणन केंद्रों और सहायक उत्पादन केंद्रों (एपीसी) आदि के कर्मचारियों के लिए नर्सिंग होम का अर्थ है ऐसा कोई भी अस्पताल जिसमें पचास से कम बिस्तर न हो और जिसका संचालन एमबीबीएस डिग्री धारी डॉक्टर करता हो।
एलिम्को (एएपीसी), भुवनेश्वर
- नीलांचल अस्पताल प्रा. लिमि.
एलिम्को (एएपीसी), बैंगलोर
- एम.एस. रमैय्या मेडिकल टीचिंग अस्पताल
आवास/ बिस्तर/ कमरे का किरायाः
कर्मचारी की श्रेणी
तक के मूल वेतन वाले कर्मचारी – प्रति दिन 350/- रुपये तक वाला कमरा
9000/– रु. (पूर्व– संशोधित)
9000/– रु. (पूर्व– संशोधित) से अधिक– प्रति दिन 450/- रुपये तक वाला कमरा
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक– वास्तविक
- चिकित्सा व्यय की स्वीकार्यताः
निगम के कर्मचारी या उसके/की परिवार के सदस्यों के किसी भी अस्पताल/ नर्सिंग होम या कहीं और उपचार के मामले में निगम निम्नलिखित तरीके से चिकित्सा खर्च वहन करेगा–
क) अगर कर्मचारी या उसका/की परिवार का कोई सदस्य अस्पताल के भीतर जो कि पैरा 2 (ई) के तहत परिभाषित उपचार कराता है तो अस्पताल से छुट्टी मिलने की ताऱीख के बाद अस्पताल के डॉक्टर द्वारा दिए गए पूरा चिकित्सा खर्च ( सिर्फ ऑपरेशन फीस को छोड़कर) निगम प्रदान करेगा।
यह एम्स में ऐसे ऑपरेशन हेतु लिए जाने वाली फीस तक ही सीमित होगा। निगम ड्यूटी के दौरान फैक्ट्री परिसर में हुई दुर्घटना के मामले में पूरा चिकित्सीय खर्च वहन करेगा।
ख) पैरा 2 (के) में परिभाषित नर्सिंग होम/ अस्पतालों में अगर कर्मचारी या उसका/की परिवार का सदस्य चिकित्सा उपचार कराता है तो निगम निम्नलिखित तरीके से खर्च वहन करेगा–
i) पैरा 2(एल) के अनुसार आवास/ बिस्तर/ कमरे का किराया
ii) ऑपरेशन की फीस एम्स में ऐसे ऑपरेशनों के लिए लिए जाने वाली फीस की सीमा के अधीन होगा।
iii) नर्सिंग होम द्वारा दिए गए बिल का 80 फीसदी (दवाओं को छोड़कर)। इलाज के दौरान और उसके बाद सात दिनों तक की दवाओं का खर्च की प्रतिपूर्ति पूरी कीमत पर की जाएगी।
ग) अगर आपातस्थिति में किसी भी अस्पताल या नर्सिंग होम कि पैरा 2 (ई) और पैरा 2(के) के तहत नहीं आते, में कर्मचारी या उसका/की परिवार के सदस्यों के इलाज के मामले में, ऐसे अस्पतालों में चिकित्सा उपचार (डिस्चार्ज किए जाने के बाद तीन दिन की दवाओं समेत) सिर्फ चौबीस घंटों के लिए कराने की ही अनुमति दी जाएगी।
घ) उपरोक्त पैरा 3(ए), (बी) और (सी) में दिए गए तरीकों के अलावा यदि कर्मचारी या उसका/की परिवार के सदस्यों का इलाज किसी अन्य चिकित्सीय तरीके से होता है, तो निगम एक माह के मूल वेतन की सीमा तक , सालाना 10,000 रुपये (दस हजार रुपये मात्र) चिकित्सा व्यय की अनुमति देगा।
i) चिकित्सा व्यय भुगतान के सबूत (बिल, रसीद) के साथ पेश किया जाना चाहिए।
ii) खाद्य मोल या गोलियों के रूप में दवाओं पर किया गया खर्च नहीं दिया जाएगा।
iii) अध्यक्ष औऱ प्रबंध निदेशक द्वारा समय– समय पर ऐसी सेरा, दवाएं या अन्य चिकित्सीय पदार्थ को अस्वीकार घोषित किए जाने के बाद इसका भुगतान नहीं किया जाएगा।
4.चिकित्सा खर्च के भुगतान की विधिः
क) पैरा 3(ए), (बी) और (सी) के अनुसार कर्मचारी या उसका/की परिवार के सदस्यों का अस्पताल में इलाज के मामले में, निगम संबंधित अस्पताल/ नर्सिंग होम की मांग पर, वैसे अस्पतालों या नर्सिंग होम को सीधे भुगतान कर सकता है। ऐसे में स्वीकार्य राशि से अतिरिक्त राशि को आगामी छह माह में संबंधित कर्मचारी के वेतन से बराबर किश्तों में काट लिया जाएगा। हालांकि कर्मचारी के पास अस्पताल को सीधे भुगतान करने और बाद में निगम से स्वीकार्य राशि का दावा करने का विकल्प होगा।
ख) पैरा 3 (सी) और 3 (डी) के अनुसार उपचार के मामले में कर्मचारी को पहले खर्च उठाना होगा और फिर निगम में स्वीकार्य राशि की प्रतिपूर्ति के लिए दावा करना होगा।
5.चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति और प्रक्रिया
क) एएमए/ पंजीकृत चिकित्सक/ विशेषज्ञ द्वारा दी गई दवाओं पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति दवा दिए जाने के बाद दावा करने पर की जाएगी।
ख) चिकित्सा खर्चों की प्रतिपूर्ति हेतु दावा निर्धारित प्रारूप में एएमए/ पंजीकृत चिकित्सक/ विशेषज्ञ की पर्ची के साथ किया जाना चाहिए। अस्पताल में भर्ती होने के मामले में कैश मेमो/ कैश रसीद और डिस्चार्ज स्लिप की मूल प्रति भी दावे के साथ संलग्न करनी होगी।
ग) निगम के कर्मचारियों द्वारा किए गए चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए दावा निगम के चिकित्सा अधिकारी को भेजी जानी चाहिए। निगम का चिकित्सा अधिकारी उचित दावों की जांच करेगा और उसे वित्त विभाग को भेज देगा। हालांकि, जहां कहीं भी चिकित्सा अधिकारी को यह लेगेगा कि दावा अनुचित और अनावश्यक है, वह उस दावे को कर्मचारी के विभागाध्यक्ष के पास अपनी टिप्पणी और सुझावों के साथ भेजेगा और बाद में अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक से आदेश प्राप्त करेगा जिसका फैसला नियमों के अनुपालन में अंतिम होगा।
घ) चिकित्सीय खर्चों की प्रतिपूर्ति का दावा चिकित्सक की पर्ची में दिखाई दे रहे चिकित्सा या उपचार पूरी होने के तीन माह के भीतर जमा करनी होगी और कथित अवधि के बाद किए गए दावों पर विचार नहीं किया जाएगा सिवाए उन दावों के जिनपर अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक द्वारा पूर्व में ही अनुमति ले ली गई हो।
6. यात्रा भत्ताः
मरीज और एक परिचर का रेल किराया कर्मचारी को उसका/की जारी चिकित्सा उपचार के यात्रा नियमों की पात्रता के अनुसार उसका/की या उसका/की परिवार के सदस्यों की पोस्टिंग के स्थान से निर्दिष्ट स्थान पर जाने के लिए देय होगा। हालांकि, ऐसे किसी भी प्रकार के दूसरे स्थान पर इलाज हेतु यात्रा के लिए अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक से पूर्व में अनुमति लेनी होगी।
7. चिकित्सा एवं उपचार के लिए अग्रिम अनुदानः
क) अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक निम्नलिखित नियमों और शर्तों को ध्यान में रखते हुए किसी कर्मचारी को विशेष अग्रिम अनुदान दे सकते हैं ताकि वह अपना और अपने परिवार के सदस्यों का चिकित्सा खर्च वहन कर सके–
i) अग्रिम तभी देय होगा जब कर्मचारी या उसके परिवार को कोई सदस्य निम्नलिखित नियमों के अधीन उपचार करा रहा हो–
ii) उपरोक्त पैरा 2 (ई) और पैरा 2 (के) में परिभाषित अस्पताल/ नर्सिंग होम में मरीज के तौर पर।
iii)टी.बी. (क्षय रोग) के मामले में आउट– पेशेंट (बाहरी– मरीज) के तौर पर।
ख) अग्रिम सिर्फ निगम के चिकित्सा अधिकारी की सिफारिशों पर ही दिया जाएगा जो कि हर एक मामले में इलाज की संभावित अवधि और खर्च के बारे में संकेत देगा।
ग) अग्रिम की राशि कर्मचारी के दो माह के वेतन तक या 15000/– रुपयों या उस राशि तक जो चिकित्सा अधिकारी/ अधिकृत चिकित्सा परिचर या टी.बी. विशेषज्ञ सिफारिश करेगा, इनमें से जो भी कम हो, तक सीमित होगी। कुल अग्रिम इस आंकड़े के पार नहीं जाए इसलिए एक बीमारी के लिए एएमए/ चिकित्सा अधिकारी/ विशेषज्ञ द्वारा अनुमानित या सिफारिश की गई अग्रिम एक से ज्यादा किश्तों में ली जा सकती है।
घ) कर्मचारी द्वारा बीमारी के लिए देय चिकित्सा प्रतिपूर्ति दावों पर अग्रिम को समायोजित किया जाएगा और यदि कोई शेष बाकी रह जाता है, तो उसकी पूर्ति उसका/उसकी वेतन से किया जाएगा। कर्मचारी द्वारा निर्दिष्ट समय में समायोजन न प्रस्तुत कर पाने की सूरत में अग्रिम देने की तारीख के अगले महीने से अग्रिम की वसूली छह समान मासिक किश्तों में की जाएगी।
8. कार्यान्वयन/ समीक्षा/ संशोधनः
ये चिकित्सा नियम निगम के कर्मचारियों पर निदेशक मंडल द्वारा मंजूरी की तारीख से लागू होगी। इन नियमों की समीक्षा/ संशोधन इसके कार्यान्वयन की तारीख से तीन वर्ष बाद की जाएगी।
9. नियमों की व्याख्या
नियमों की व्याख्या में अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक का निर्णय अंतिम एवं निर्णायक होगा।