भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम
(भारत सरकार का उपक्रम)
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार
जी.टी. रोड, कानपुर– 1209217
भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम में स्टाफ/कर्मचारी और अधिकारियों के लिए शिकायत निवारण प्रक्रिया
भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम में स्टाफ/कर्मचारी और अधिकारियों के लिए शिकायत निवारण प्रक्रिया
निगम में शिकायत निगरानी प्रणाली को कारगर बनाने के क्रम में प्रबंधन "शिकायत निवारण प्रक्रिया" को तत्काल प्रभाव से शुरु करने से खुश है।
- उद्देश्य
शिकायत निवारण प्रक्रिया का उद्देश्य शिकायत निवारण हेतु आसान सुलभ तंत्र उपलब्ध कराना और स्टाफ/ कर्मचारियों औऱ अधिकारों की शिकायत का शीघ्र निपटान सुनिश्चित करने के लिए उपायों को अपनाना है ताकि नौकरी में संतुष्टि का स्तर बढ़ सके एवं संगठन की उत्पादकता और दक्षता में सुधार हो सके।
- प्रयोज्यता (एप्लीक्लेबिलिटी)
इस योजना के तहत संगठन के सभी स्टाफ/ कर्मचारियों और अधिकारियों, सिवाए उनके जो निगम की सूची (रोल) में नहीं है, को कवर किया जाएगा।
- कार्यक्षेत्र (स्कोप)
इस योजना के उद्देश्य के लिए 'शिकायत' का अर्थ सिर्फ किसी भी स्टाफ/कर्मचारियों या अधिकारियों से संबंधित उस शिकायत से है जो निगम की नीतियों/नियमों या फैसलों के कार्यान्वयन के दौरान पैदा हुई हो।
शिकायत में व्यक्तिगत प्रवृति वाले मजदूरी/वेतन भुगतान, छुट्टी, वेतन वृद्धि, काम की परिस्थितियों, वरिष्ठता, काम का निर्दिष्टीकरण, व्यवस्था, नियमों के तहत लाभ नहीं देना, सेवा नियमों की व्याख्या, समझौते आदि शामिल हैं।
- शिकायतों के निपटान की प्रक्रिया
4.1 पीड़ित कर्मचारी पहले अपने विभाग के प्रमुख को मौखिक रूप से अपनी शिकायत बताएगा और उसकी शिकायत का निपटारा किया जाएगा या फिर संबंधित विभागाध्यक्ष उसे शिकायत करने के 7 दिनों के भीतर जवाब देंगें।
4.2 अगर शिकायत का संतोषजनक निवारण नहीं किया जाता है तो, पीड़ित स्टाफ/ कर्मचारी या अधिकारी संबंधित विभागाध्यक्ष या प्रबंधक (पी एंड ए) को अपनी शिकायत लिखित रूप दे सकता है। इस प्रकार के मनोनीत अधिकारी सात दिनों के भीतर उनकी शिकायत का जवाब देंगें और शिकायत का अगर निपान नहीं होता या सौदार्दपूर्ण ढंग से निपटान नहीं किया जा पाता और अगर जरूरी हुआ तो उसे शिकायत निवारण समिति के पास भेज दिया जाएगा। निर्णायक अधिकारी अर्थात महाप्रबंधक को शिकायत निवारण समिति की सिफारिशों को एक माह के भीतर अवगत करा दिया जाएगा और निर्णायक अधिकारी का फैसला पैरा 4.3 में निहित प्रावधानों के अधीन अंतिम फैसला माना जाएगा।
4.3 असाधारण मामलों में, शिकायत निवारण समिति की सहमति से, पीड़ित स्टाफ/ कर्मचारी/ अधिकारी जिनकी शिकायत पर विचार किया गया है और जो निर्णायक अधिकारी के फैसले से सहमत नहीं हैं, उनके पास अध्यक्ष (चेयरमैन) और प्रबंध निदेशक के पास अपील करने का विकल्प होगा। ऐसे अपीलों पर फैसला अपील प्राप्त होने की तारीख से एक माह के भीतर किया जाएगा। अध्यक्ष (चेयरमैन) और प्रबंध निदेशक का फैसला अंतिम फैसला माना जाएगा और पीड़ित स्टाफ/ कर्मचारी/ अधिकारी एवं प्रबंधन उनके फैसले को मानने के लिए बाध्य होंगे।
4.4 अधिकारियों के नीचे दिए जा रहे दो श्रेणियों की शिकायतें शिकायत निवारण समिति के अधिकार क्षेत्र में नहीं होंगी। उनके मामले में, प्रक्रिया निम्नलिखित के तहत होगा–
i) बोर्ड स्तर से एक पायदान नीचे वाले अधिकारियों के मामले में व्यक्तिगत शिकायत का निपटान संबंधित निदेशक द्वारा किया जाएगा।
ii) अध्यक्ष (चेयरमैन) और प्रबंध निदेशक को सीधे रिपोर्ट करने वाले अधिकारी उन्हें अपनी शिकायतों का निपटान करने के लिए कह सकते हैं।
- शिकायत निवारण समिति की संरचना
शिकायत निवारण समिति में निम्नलिखित लोग होते हैं–
क) महाप्रबंधक (एफए एंड एडी): अध्यक्ष ( चेयरमैन)
ख) उप महाप्रबंधक (एमएम): सदस्य
ग) उप महाप्रबंधक (पीडी): सदस्य
घ) कंपनी सचिवः सदस्य
ङ) विभागीय मनोनीत व्यक्तिः इसका निर्धारण समिति के अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा।
- शिकायत निवारण समिति का कार्यक्षेत्र (स्कोप) और कार्यः–
i. एक महीने में कम– से– कम एक बार जरूर बैठक करें।
ii. कथित तौर पर अन्याय और समिति के समक्ष पेश किए गए व्यक्तिगत प्रकृति एवं अन्य शिकायतों के मामलों पर गौर करें।
iii. अगर फैसला करने के लिए जरूरत हो तो प्रबंधन/ अधिकारी या संबंधित व्यक्ति से अतिरिक्त जानकारी/ स्पष्टीकरण की मांग करें।
iv. बैठक के दौरान मौखिक सुनवाई करें या समिति को दिए गए लिखित खिकायत पर विचार करें।
v. मामले या कारण की जांच कथित तौर पर पीड़ित व्यक्ति जिसका मामला समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया है को न्याय दिलाने के दृष्टिकोण से करें।
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vi. कथित तौर पर अन्याय/ शिकायत को दूर करने के लिए निर्णायक अधिकारी को अपनी सिफारिशें दें।
6.1 आरएमसी औऱ एएपीसी के मामले में विभागाध्यक्ष क्षेत्रीय स्तर पर शिकायत समिति का गठन करने वाले अधिकारियों के साथ– साथ निर्णायक अधिकारियों को भी नामित कर सकते हैं। हालांकि, अगर क्षेत्रीय इकाईयों के पर्यवेक्षक (कों)/ अधिकारी (यों) निर्णायक अधिकारियों के फैसले से संतुष्ट नहीं हों तो वे मुख्यालय के शिकायत निवारण समिति के पास अपील कर सकते हैं। समिति शिकायत पर गौर करेगी औऱ एक माह के भीतर उस पर फैसला सुनाएगी। ऐसा करने में विफल होने पर मामले को संगठन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के समक्ष पेश किया जाएगा। शिकायत निवारण समिति को एक महीने में कम– से– कम एक बार बैठक करनी होगी।
- समग्र मार्गदर्शन और शर्तें
7.1 स्टाफ सदस्य/ अधिकारियों को अपनी शिकायत तुरंत या किसी भी सूरत में घटना के घटित होने के तीन माह के भीतर दर्ज करानी होगी।
7.2 अगर प्रबंधन द्वारा दिए गए आदेश से शिकायत है तो कथित आदेश का अनुपालन संबंधित स्टाफ/ कर्मचारियों/ अधिकारी नहीं करते तो इस प्रक्रिया को अपनी शिकायत निवारण के लिए भेजा जाएगा।
7.3 निम्नलिखित की वजह से पैदा हुई शिकायत, शिकायत प्रक्रिया के तहत नहीं आएगी–
क) डीपीसी के मिनट्स एवं फैसलों समेत पदोन्नति,
ख) जहां शिकायत व्यक्तिगत कर्मचारी या अधिकारी से संबंधित नहीं हो,
ग) अदालती मामला या सतर्कता मामले से संबंधित शिकायत,
घ) स्थांतरण से संबंधित शिकायत ,
ङ) स्टाफ सदस्य या अधिकारी के निर्वहन या बर्खास्तगी से उत्पन्न शिकायत के मामले।
7.4 अनुशासनात्मक कार्रवाई से उत्पन्न या संबंधित शिकायत या ऐसी कार्रवाई के खिलाफ अपील को सक्षम प्राधिकारी को संगठन के आचरण, अनुशासन एवं अपील नियमों/ प्रमाणित स्थायी आदेशों के तहत भेजा जा सकता है और ऐसे मामलों में शिकायत निवारण प्रक्रिया लागू नहीं होती।
7.5 शिकायत निवारण समिति/ मुख्य कार्यकारी के पास भेजी जाने वाली सभी शिकायतों को एक मनोनीत अधिकारी के लिए रजिस्टर में दाखिल किया जाना चाहिए। प्रत्येक माह अध्यक्ष (चेयरमैन) और प्रबंध निदेशक को शिकायतों की संख्या, निपाटाए गए और लंबित पड़े शिकायतों की संख्या की रिपोर्ट भेजी जाएगी।
7.6 विभागाध्यक्ष (पी एंड ए) शिकायत प्रकोष्ठ के प्रभागी होंगे और एक शिकायत रजिस्टर और ऐसी शिकायतों से संबंधित सभी रिकॉर्डों आदि का रख– रखाव करेंगें एवं इस विषय में संबंधित अधिकारियों के साथ संपर्क करेगें।
शिकायत प्रारूप
नामः
कर्मचारी संख्याः
विभागः
पदः
शिकायत एवं कारणः
संक्षिप्त
वेतनमानः
तारीखः कर्मचारी का हस्ताक्षर
(विभागाध्यक्ष के प्रयोग के लिए)
शिकायत संख्याः प्राप्त करने की तारीखः
साक्षात्कार कियाः हां/नहीं
कर्मचारी के स्रोत एवं परिणामः
जांचः
जवाब देने की तारीखः
तारीखः
विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षरः